Empathy.
What is the role of friendship in friends.
Trust in lovers or in this transient world.
Spirit in the body.
Like that empathy do. In customer relationship management.
Because empathy makes the customer feel that you understand their feelings. And when it's done. The sales become more easier. Because it's make him/her feel that he/she is not just buying a product but buying a trust a relationship also.
People care how much you care not how much you know.
And when you treat customer nicely you are not only selling product you are also selling experience that customer remember forever. And that's why empathy is important.
2.एक परिवार था। बदकिस्मत तो हर बंदे की तरह खुद को ही मानते थे। इसमें जो पिता था वो सरकारी नौकरी करता था। और पत्नी चार बच्चे होने के बाद अपने आप को जलाकर राख कर देती है।और बच्चों की जिम्मेदारी बाप के कंधों पर आ-जाती है। बिना मां के बच्चे कैसे पलते हैं शायद ही किसी को बताने की जरूरत पड़े। जो की मां का किरदार जो हमारी लाइफ में है शायद ही किसी और का हो माफ करना किसी का नहीं है । फिर भी बाप-बाप होता है ।बच्चों की जिम्मेदारी संभालने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ देता है। और शहर से आकर अपने गांव मां के साथ मिलकर अपने बच्चों को पालने लगता है। अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है मगर बाप था ना बता नहीं पाता। धीरे-धीरे करके उम्र बीतती गई और बेटियों की वक्त पर शादी कर दी। अब उसका सिर्फ इकलौता बेटा बचा था। जो पढ़ता था। तीनों बेटियों ने घर संभालने के चक्कर में चौथी-पांचवी कक्षा से ज्यादा पढ़ा ना था। मगर भाई ने बी.ए. किया था और कॉलेज के लिए शहर गया था। वहां बाप से पैसे लेता था पढ़ाई के नाम पर और खर्च करता था प्यार के नाम पर ।Continue reading 👈❤️
3. यह आजकल का जो दौर चल रहा है। किसी के पास वक्त कहां है। सब कुछ जल्दी-जल्दी चाहिए। जितनी जल्दी हो सके चाहे वह पैसा डबल करना हो ,शादी करनी हो, रिलेशनशिप में आना हो। सब कुछ जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा। ' शुभ आरंभ' मगर वही बात आ-जाय रिश्ते निभाने की तो सब लोग इंतजार ही करते हैं। कि पहले यह माफी मांगे तो फिर मैं भी करूंगा कोशिश बात करने की। क्योंकि बात इज्जत पड़ आ जाती है। इज्जत! हां! हां! इज्जत मानता हूं बहुत जरूरी चीज है। मगर ईगो और इज्जत एक नही होते जैसा लोग समझते हैं। अपने घमंड को ना झुकने को इज्जत से जोड़ लेते हैं। जैसे जलालुद्दीन अकबर अपनी बेटियों की शादी नहीं करवाता है क्योंकि उसे झुकना पसंद नहीं था। और शादी में बेटी के बाप को दूल्हे के आगे झुकना जो पड़ता है। मगर मीना बाजार लगवाता है। यह है इज्जत। ठीक है अकबर को मानता हूं ।पर क्या इज्जत ऐसे मिलती है। किसी के फिलिंग्स को मार के औरों को बेइज्जत करके।भाई!मानता हूं-ईज्जत बहुत जरुरी है। मगर ज्यादा घमंड नहीं। Continue reading 👈❤️
4. यह बात अपनी ही है। बस यूं ही सब कुछ करते हैं। लोग पागल बोलते हैं। मगर हमें हम बनकर ही मजा आता है। औरों की सुनकर और बनकर नहीं। तो हम वही करते जो मन करता। ना सुबह पढ़ते ना शाम पढ़ता तभी जब मन करता। मैं वही करता हूं जो मन करता, गाता चिल्ला-चिल्ला के नाचता छूप-छूप के। तो इसी कड़ी में एक दिन एक बूढ़ी दादी मेरे घर आई थी। तो मुझे तो कोई आ जाए तो परेशानी होती ही है। तो मैं कोना पकड़ लेता हूं। Continue reading 👈❤️
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